"विध्वंसों के बाद नया निर्माण"
पतझड़ के पश्चात वृक्ष नव पल्लव को पा जाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। भीषण सर्दी, गर्मी का सन्देशा लेकर आती, गर्मी आकर वर्षाऋतु को आमन्त्रण भिजवाती, सजा-धजा ऋतुराज प्रेम के अंकुर को उपजाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। खेतों में गेहूँ-सरसों का सुन्दर बिछा गलीचा, सुमनों की आभा-शोभा से पुलकित हुआ बगीचा, गुन-गुन करके भँवरा कलियों को गुंजार सुनाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। पेड़ नीम का आगँन में अब फिर से है गदराया, आम और जामुन की शाखाओं पर बौर समाया, कोकिल भी मस्ती में भरकर पंचम सुर में गाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। परिणय और प्रणय की सरगम गूँज रहीं घाटी में, चन्दन की सोंधी सुगन्ध आती अपनी माटी में, भुवन भास्कर स्वर्णिम किरणें धरती पर फैलाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। |
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21 April, 2014
"विध्वंसों के बाद नया निर्माण" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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