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"सत्यार्थ प्रकाश की भूमिका"
लगभग 50 वर्ष पूर्व मैं गुरूकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर (हरिद्वार) में पढ़ने के लिए गया था मेरा वेदारम्भ-संस्कार सन् 1960 में हआ था। तभी मुझे प्रतिदिन अनुशीलन करने के लिए मेरे मामा जी स्व.रामचन्द्र आर्य ने मुझे बड़े अक्षरों वाला सत्यार्थ-प्रकाश दिलवाया था। आज भी मेरे पास यह सुरक्षित है।
नेट पर कई ब्लॉगरों ने सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने की जिज्ञासा व्यक्त की थी।
मैं आज से सत्यार्थ-प्रकाश की शृंखला शुरू कर रहा हूँ!
क्रमशः मैं इसका एक बहुत छोटा अंश प्रकाशित किया करूँगा। लेकिन आज इसकी भूमिका पूरी ही प्रकाशित कर रहा हूँ!
ब़ड़ा करके पढ़ने के लिए इन छवियों को क्लिक कीजिए!
लेबल:
भूमिका,
सत्यार्थ प्रकाश
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