मेरे काव्यसंग्रह "धरा के रंग" से
पंक में खिला कमल स्वर अर्चना चावजी
पंक में खिला कमल,
किन्तु है अमल-धवल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!!
डण्ठलों के साथ-साथ,
तैरते हैं पात-पात,
रश्मियाँ सँवारतीं ,
प्रसून का सुवर्ण-गात,
देखकर अनूप-रूप को,
गया हृदय मचल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!!
पंक के सुमन में ही,
सरस्वती विराजती,
श्वेत कमल पुष्प को,
ही शारदे निहारती,
पूजता रहूँगा मैं,
सदा-सदा चरण-कमल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!!
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24 February, 2014
"नवगीत-पंक में खिला कमल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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लय ताल बद्ध अर्थ पूर्ण प्रस्तुति
ReplyDeleteलय ताल बद्ध अर्थ पूर्ण प्रस्तुति कोमलकांत पदावली शाश्त्रीजी की :
ReplyDeleteडण्ठलों के साथ-साथ,
तैरते हैं पात-पात,
रश्मियाँ सँवारतीं ,
प्रसून का सुवर्ण-गात,
देखकर अनूप-रूप को,
गया हृदय मचल!
बादलों की ओट में से,
चाँद झाँकता नवल!!