चर्चा मंच पर पोस्ट बहुत ज्यादा हो जाती है!
इसलिए अक्सर नन्हे-सुमनों की
चर्चाएँ छूट जाती हैं!
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आज प्रस्तुत है-
बच्चों के ब्लॉगों की चर्चा का
यह 21वाँ सुमन!
आज सबसे पहले देखिए
- देश के प्यारे गाँधी बाबा बच्चों के बापू कहलाए
सत्य-अहिंसा की नीति से देश को आजादी दिलवाए .
सूरज से चमके बापू जी कभी न हिम्मत हारे थे
अंगरेजों को मार भगाया ...
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अब देखिए-
द्वारा बनाई गई
-आज मै अपनी कुछ पेंटिंग्स दिखा रही हूँ आपको....
मुझे कलरिंग करना बहुत अच्छा लगता है,
लेकिन पेपर से ज्यादा दीवार कलर करना :))
मेरी बनायीं कुछ पेंटिंग्स जि...
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यहाँ पर कृष्णकुमार जी
आपको टाबरटोली वाले
पं. दीनदयाल शर्मा से रूबरू करा रहे हैं!
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मेरे लिए मम्मी ने ये चित्र बनाए है
यह माधव जी कह रहे हैं!
. दरअसल मै कलम और पेन लेकर मम्मी को बहुत सारी चीजे बनाने को कहता हूँ , जैसे कैट, डॉगी, काईट. मम्मी मेरे लिए ये सब पन्ने...
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किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं |
मेरी किताबें.....!-
...आजकल मैं कई तरह की किताबें पढ़ रहा हूँ |
मेरी किताबें बहुत ही सुंदर और...
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पाखी की दुनिया में
पाखी लाई हैं आपके लिए
अंडमान के छोटे-छोटे,
-आपको केले अच्छे लगते हैं,
मुझे तो केला खाना बहुत अच्छा लगता है.
यहाँ अंडमान में खूब केले मिलते हैं,
पर नन्हें-नन्हें. ये देखिये मैंने केलों का पूरा गुच्छा..
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नन्हा मन में
आपको जानकारी दी जा रही है
- खेलों की राजधानी राष्ट्रकुल खेलों की धूम मची
दुल्हन बन राजधानी है सजी
प्रतियोगियों में होड़ है लगी
वंदना में आरती है सजी ।
मुस्कान से भरा...
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नन्हे-मुन्हे में है
- यह रचना भी हमे डा० अनिल सवेरा जी ने जगाधरी से भेजी है,
बहुत अच्छी अच्छी ओर मन भावन कविताये लिखते है,
प्रस्तुत है यह रचना, तो बच्चो सब से पहले डा अनिल अंकल ...
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अनुष्का जी आपको बता रही हैं
- मैं लगभग ५ माह की होने को थी.
सारे घर में रोल होकर घूमना तो आता ही था
साड़े चार माह में मैंने खुद से बैठना भी शुरू कर दिया था.
मम्मा और डाक्टर आंटी दोन...
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और आजकल
लविज़ा | Laviza जी घूम रही हैं
- पिछले दिनों दादू मुझे और मम्मा को छोड़ने आये थे.
तो हमने दिल्ली और आगरा घूमने का प्लान किया.
दिल्ली तो मैं पहले भी घूम चुकी हूँ और मेरे दादू भी.
तो हमने सि..
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देख रहे हैं एक सपना!
- मम्मु और बाबा कहते है साइकिल में मेरे प्राण बसते है..
जहां भी साइकिल दिखे.. जिसकी भी हो मुझे जरुर चलानी होती है..
चाहे कारर्फोर (Carrefour) में हो या टेस्...
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chulbuli भी तो आपसे कुछ कह रही हैं!
-क्या कहू आजकल मेरी भी यही परेशानी है....
दरअसल मेरे सामने के दो दाँत टूट गए है
और दो टूटने कि तैयारी कर रहे है...
अब जिसे देखो वही पहले मुझे कहता है..'चुल...
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में आपु पढ़िए
बालवैज्ञानिकों के बारे में!
-"भूमि संसाधन : संपन्नता के लिए उपयोग करें, समृद्धि के लिए बचाएँ" ------ यह अट्ठारहवीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान..
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पर पढ़िए यह बाल कविता!
- समय की बात समय समय पर क्या होता,
हर गाँव शहर में आदमी रोता.....
कोई रोटी के लालच में, कोई पैसो के लालच में .....
समय समय पर क्या होता,
हर गाँव शहर में आदमी र...
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काफ़ी सुन्दर बाल चर्चा लगाई है …………काफ़ी लिंक्स पर ही भी आई हूँ…………आभार्।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर चर्चा रही इन प्यारे प्यारे बच्चों की.....आभार
ReplyDeleteबालवैज्ञानिकों की चर्चा के लिए आभार!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स से सजा है नन्हे सुमनों का चर्चा मंच .....नानाजी को आभार !
ReplyDeleteबच्चों के संसार की मनभावन चर्चा....सभी को प्यार व बधाई .
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा के लिए आभार. आपने बाल-दुनिया में प्रकाशित बाल-कविता की भी चर्चा की ...अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स से सजा है नन्हे सुमनों का चर्चा मंच
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