------------------
चर्चा मंच पर पोस्ट बहुत ज्यादा हो जाती है!
इसलिए प्यारे-प्यारे नन्हे-सुमनों की
चर्चाएँ अक्सर छूट जाती हैं!
आज से बच्चों के ब्लॉगों की चर्चा
यहाँ प्रारम्भ की जा रही है!
जब-जब भी मुझे समय मिलेगा
तब-तब केवल आपकी ही चर्चा यहाँ होंगी!
------------------
शुरूआत करते हैं आदित्य के ब्लॉग से
ये देखो मैंने ऊ छुक छुक बना दी...
- पता है ऊ छुक छुक बनाना बहुत आसान है.. कोई भी दो या दो से ज्यादा चीजों को लाइन में लगा दो और बन गई ऊ छुक छुक... कल मैंने मम्मी के साथ क्रेयोन से छोटे छोटे ख...
- पता है ऊ छुक छुक बनाना बहुत आसान है.. कोई भी दो या दो से ज्यादा चीजों को लाइन में लगा दो और बन गई ऊ छुक छुक... कल मैंने मम्मी के साथ क्रेयोन से छोटे छोटे ख...
------------------
------------------
------------------
कितनी सुन्दर बाल-कविताएं हैं!
गर्मी- दो नन्हे गीत - गिरीश पंकज (1) वर्षा रानी जल्दी आओ, इस गर्मी से हमें बचाओ। अपना हुकुम चलाती है, हम सबको झुलसाती है। सूखी-सूखी नदी देखकर, ये दुनिया घबराती है। पा...
------------------
ब्लैक बोर्ड पर शानदार लगी कविता है-
तीन टाँग के ब्लैकबोर्ड की,** * *मूरत कितनी प्यारी है।** * *कोकिल जैसे इस स्वरूप की,** * *सूरत जग से न्यारी है।** * *कालचक्र ...
------------------
BAL SAJAG पर तो
कविता में बढ़ते हुए तापमान पर
चिन्ता व्यक्त की गई है!
कविता : तापमान पर करो नियंत्रण - बढती जाती ये महगाई, घटती जाती पेड़ पौधों की संख्या भाई। बढती सूरज का तपन भाई, बढती गर्मी होती दिक्कत सारी। चलती लू जलती त्वचा हमारी, होती बीमारी न्यारी। जिसक...
------------------
कविता का शीर्षक तो गोरों की भाषा का है
शुक्र है कि लिपि देवनागरी ही है!
मैरिटल अफेयर्स - *जरा संभल के..* रिसर्च की मानें तो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की संभावना तब सबसे ज्यादा होती है, जब औरत प्रेग्नेंट होती है। इसकी बडी वजह है प्रेग्नेंसी के नौ...
------------------
माधव के ब्लॉग पर
पर्यावरण के बारे में बढ़िया पोस्ट है!
विश्व पर्यावरण दिवस - परसों विश्व पर्यावरण दिवस था . शनिवार होने के चलते पापा घर पर ही थे , सुबह से ही पापा को परेशान करना शुरु किया. सबसे पहले कम्पूटर चलवा कर पोएम ( Poem ) सुन...
------------------
पाखी की दुनिया में
समीरलाल जी का स्नेह
पाखी के लिए उमड़ा है!
समीर अंकल (उड़न तश्तरी) ने लिखी पाखी के लिए प्यारी सी कविता - ये देखिये हम क्या लाये. इस बार समीर अंकल जी को लाये. उन्होंने एक प्यारी सी कविता लिखी है मेरे लिए. चलिए सभी इसे पढ़ते हैं और समीर अंकल जी को ढेर सारा ...
------------------
हाँ शुभम जी! आपको हमने पहचान लिया है
डागी डब्बू !! - एक डागी था , उसका नाम था डब्बू । वह ना अपने घर जा रहा था , तो उसनें पता है क्या देखा ? क्या देखा ? डागी नें एक बनाना देखा । पता है बनाना कहां पडा था ? ...
------------------
बिटिया रानी!
आपने एक सप्ताह से कोई नई पोस्ट भी नही लगाई है!
वन्दे मातरम - नमस्ते, आज मै आप सबको 'वन्दे मातरम' राष्ट्रगीत सुना रही हूँ, ये मुझे मेरी मम्मा ने सिखाया है, उम्मीद है आप सबको मेरी आवाज पसंद आएगी... :)
------------------
हाँ जी! आपकी पोस्ट से पता लगा कि आप बीमार थे!
हमारी शुभकामना है कि
आप जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाएँ!
ताकि आपका 2 सप्ताह से निष्किय ब्लॉग
फिर से सक्रिय हो जाये!
मैं तो बीमार था, मुझे पापा ने क्यूं छोड़ा ? - यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है। जब अपनों का भरोसा टूटता है तो एक पल के लिए पूरी दुनिया अंधेरी हो जाती है। उस अंधेरे से लड़कर बाहर आना दूसरों ...
------------------
पता है, आज मेरे डॉक्टर मामा का जन्मदिन है।
अरे वही डॉक्टर मामा
डॉक्टर मामा के लिए जादू की कविता और गाना।
जिन्होंने इत्ती सारी कविताएं और पहेलियां बुझाईं हैं मेरे लिए। मेरे डॉक्टर मामा इलाहाबाद में रहते हैं। और मेरे पैदा होने से लेकर अब तक उन्होंने मुझसे बहुत सारी बातें की हैं। चिट्ठियां लिखी हैं। गाने सुनवाए हैं और कविताएं भी भेजी हैं। आपमें से जो लोग मेरे ब्लॉग पर नियमित आते रहते हैं, वो डॉक्टर मामा को ज़रूर पहचानते होंगे। ख़ासकर समीर अंकल। जिन पर वो हमेशा पहेलियों के बाउंसर मारते रहते हैं।...
------------------
अरे वाह..!
लविजा बिटिया ने बाल तो
गरमी मौसम के अनुकूल कटवाये हैं!
हेयर स्टाइल
------------------
अंशुमन भाई , अनन्या दीदी और नानी - प्यारे दोस्तों! आज अनन्या दीदी ने अपने छोटे भाई अंशुमन और अपनी नानी की तस्वीर भेजी हैं। अनन्या दीदी इन्द्रापुरम वाले घर में बहुत अकेलापन महसूस करती थी। यहा...
------------------
दो सप्ताह से कहाँ हो भाई?
यह बच्चा कैसा बच्चा है - *इब्ने इंशा* * यह बच्चा कैसा बच्चा है* *यह बच्चा काला**–**काला सा*** *यह काला सा मटियाला सा*** *यह बच्चा भूखा**–**भूखा सा*** *यह बच्चा सूखा**–**सूखा स..
------------------
और आप भी तो दो सप्ताह से नदारत हैं-
वो सिखाती है हमें, काम करना, बोलना, कायदे से रहना, और तमाम सलीके दुनिया में रहने के. देवी के कई रूप हैं उसमें- कभी उमा, कभी दुर्गा, कभी काली , लेकिन है व..
------------------
कोई पोस्ट ही नही लगाई है!
मेरे दादाजी श्री जगमोहन कोकास और मेरी दादी माँ
श्रीमती शीला कोकास भंडारा ( महाराष्ट ) में रहते थे ।
मैनें अपने दादा जी और दादी माँ के साथ अपनी जिदंगी के ...
------------------
------------------
और आप तो पाँच सप्ताह से गायब हैं-
पैसे - यह बाल कविता भी हमे अनिल सवेरा जी ने भेजी है बंदर बाबु पेंट पहन कर पहुंच गये ससुराल. खा के मीठा पान उन्होने होंठ कर लिये लाल बंदरिया भी सम्रार्ट बन गई पहन...
------------------
और आप भी तो एक महीने से
अवकाश पर हैं जी!
पुस्तक:मुन्नी मोबाइल लेखक:प्रदीप सौरभ प्रकाशक:वाणी प्रकाशन 4695,21-ए,दरियागंज, नई दिल्ली-110002 ...
------------------ ------------------
मेरा मुँह है कितना सुंदर
सरस पायस की तो सदैव ही
बच्चों के ब्लॉग में अग्रणी भूमिका रही है!
मेरा मुँह है कितना सुंदर : प्रवीण त्रिवेदी का फ़ोटो फ़ीचर
--------------------------------------------------
--------------------------------------------------
--------------------------------------------------
--------------------------------------------------
--------------------------------------------------
--------------------------------------------------
--------------------------------------------------
--------------------------------------------------
--------------------------------------------------
छायाकार : प्रवीण त्रिवेदी (चित्रों में : जिया)
--------------------------------------------------
------------------
और अन्त में देखिए!
रुद्र के स्कूल में भी
दो महीने से
दो महीने से
अवकाश चल रहा है!
rudra ka school - बड़े दिन बाद आई हूँ लेकिन एक अच्छी खबर के साथ ,रूद्र जी अब स्कूल जाने लगे हैं.उनका दाखिला सन राइज प्री प्राइमरी स्कूल में २९ मार्च को कराया लेकिन क्लास ...
वाह...ये ब्लॉग तो बहुत सजीव है...और बच्चों का अलग ब्लॉग....बहुत सुन्दर...सच ही बहुत आवश्यकता थी इसकी ...शास्त्री जी को बधाई
ReplyDeleteबहुत खूब... बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteशास्त्री जी.. मैंने क्रोम में इसे देखने कि कोशिश कि.. नहीं खुला... फिर IE or Firefox में वहाँ कोई दिक्कत नहीं हुई... शायद टेम्पलेट में कुछ समस्या है...
इस पोस्ट के ले भी सही से नहीं देख पा रहा हूं.. कुछ जागे शीर्षक और लेख मिश्रित हो रहे है.. शायद मेरे ब्राउसर कि समस्या है.. या फिर टेम्पलेट कि.. देखे बाकी लोग क्या कहते है...
this like a special package for Kids. thanx Mayank Uncle. thanx a lot for posting blog items from Little bloggers
ReplyDeleteno problem in opening in Chrome.
ReplyDeleteरंजन जी आपके आग्रह पर टेंम्प्लेट बदल दिया है!
ReplyDeleteवाह वाह वाह्………………ये तो बहुत ही खूबसूरत है……………दिल खुश हो गया……………आपका प्रयास सराहनीय है।
ReplyDeleteshastri ji bahut mahnat karne lage hai aap ajkal.thoda garmi ka aur apni sehat ka khyal rakhe...
ReplyDeletecharcha bahut mastam mastam hai. manbhawan hain sare ke sare links.
thanks a lot.
बच्चों को लेकर वाकई एक बड़ा काम कर रहे हैं आप। यह बात मुझे पहले नहीं पता थी लेकिन जब से जाना है नतमस्तक हो गया हूं।
ReplyDeleteआपका यह योगदान याद रखेगा हिन्दुस्तान।
अरे... योगदान और हिन्दुस्तान... यह तो कविता हो गई।
शास्त्री जी ! बच्चों के लिए काम करना ईश्वर की आराधना करने के बराबर ही है । वही काम आप कर रहे हैं ।मैं सारे लिंक अपने परिचित शिक्षकों / अभिभावको को भेजूंगा ।सादर रामेश्वर काम्बोज
ReplyDeleteबहुत सुंदर झी अब तो कॊई लगानी हई पडेगी सुंदर सी कविता
ReplyDeleteइतने सारे बच्चों के ब्लॉग्स की लिंक एक जगह देख कर यह विश्वास हो गया कि यह पीढ़ी बड़ी होकर हन्दी ब्लॉगिंग को एक नई दिशा देगी । आपका यह परिश्रम फलदायी होगा ।
ReplyDeleteYe nanhe-munnon ke blogs dekhkar man khush ho gaya ye eak bahut acha pryas ha..aapko bahut-bahut badhai..
ReplyDeleteareee wah itna sundar surprise...bahut bahut dhanyawaad aapka...
ReplyDeleteaur nanhi pari ishita ki taraf se dhero payar...chuttiyo me kuch dino ke liye bahar ghumne chali gyi thi...jald hi nayi post daalti hu
थैंक यू अंकल जो आपने इतने सारे फ़्रैण्ड्स से मिलवाया । .....shubham sachdev
ReplyDeleteवाह ! बच्चों के लिए स्पेशल चर्चा.. बहुत सुन्दर.. शुक्रिया
ReplyDeleteडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी आपने यह बहुत ही अच्छा कार्य किया है आज कल के तनावग्रस्त माहौल में नन्हे मुन्नों को देखकर बहुत ही अच्छा लगता है. कुछ देर ले लिए हम ही सही हम एक दूसरी दुनिया में जहाँ प्यारे से नि:स्वार्थ भावना लिए जिंदगियाँ अपनी जिन्दगी अपने तरीके से जी रही होती है.
ReplyDeleteआभार
इतने सारे बच्चों से एक स्थान पर मिलकर सुखद
ReplyDeleteअनुभूति हुयी । ये बच्चे बङों से ज्यादा भाग्यशाली
है..जो अभी से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का
एक सशक्त मंच इनके पास उपलब्ध है ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
इस प्यारी सी चर्चा के लिए आभार. आपने हम बच्चों के बारे में भी सोचा, यही क्या कम है.
ReplyDelete"सरस पायस" से जिया को
ReplyDeleteपूरा का पूरा उठा लेने के लिए आभारी हूँ!
वह यहाँ भी बहुत अच्छी लग रही है!