"लेकर आऊँगा उजियारा"
मैं नये साल का सूरज हूँ,
हरने आया हूँ अँधियारा।
मैं स्वर्णरश्मियों से अपनी,
लेकर आऊँगा उजियारा।।
चन्दा को दूँगा मैं प्रकाश,
सुमनों को दूँगा मैं सुवास,
मैं रोज गगन में चमकूँगा,
मैं सदा रहूँगा आस-पास,
मैं जीवन का संवाहक हूँ,
कर दूँगा रौशन जग सारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
मैं नित्य-नियम से चलता हूँ,
प्रतिदिन उगता और ढलता हूँ,
निद्रा से तुम्हें जगाने को,
पूरब से रोज निकलता हूँ,
नित नई ऊर्जा भर दूँगा,
चमकेगा किस्मत का तारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
मैं दिन का भेद बताता हूँ,
और रातों को छिप जाता हूँ,
विश्राम करो श्रम को करके,
मैं पाठ यही सिखलाता हूँ,
बन जाऊँगा मैं सरदी में,
गुनगुनी धूप का अंगारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
मैं नये साल का सूरज हूँ,
हरने आया हूँ अँधियारा।।
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09 October, 2013
"लेकर आऊँगा उजियारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गीत,
धरा के रंग,
लेकर आऊँगा उजियारा
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बहुत सुन्दर मन उमंग भर तरंगित करता गीत!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति पर बधाई -
ReplyDeleteनवरात्रि की शुभकामनायें -
आभार आदरणीय-
सुन्दर सांगीतिक रचना सूर्य स्तुति :
ReplyDeleteमैं दिन का भेद बताता हूँ,
और रातों को छिप जाता हूँ,
विश्राम करो श्रम को करके,
मैं पाठ यही सिखलाता हूँ,
बन जाऊँगा मैं सरदी में,
गुनगुनी धूप का अंगारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
आदरणीय आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (10-10-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 142"शक्ति हो तुम
ReplyDeleteपर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
Behad sundar kavita.
ReplyDeleteShayad ye bhi aapko pasand aayen- Albert Einstein Quotes , Love Quotes for Him
very nice sir aishi kavitay likhy rahiy
ReplyDeleteYou may like - How to Make Money from Hostgator Affiliate Program?