"प्यार से बाँट रहा हूँ"
मेरी झोली में जो कुछ है, वही प्यार से बाँट रहा हूँ।।
खोटे सिक्के जमा किये थे,
मीत अजनबी बना लिए थे,
सम्बन्धों की खाई को मैं, खुर्पी लेकर पाट रहा हूँ।
मेरी झोली में जो कुछ है, वही प्यार से बाँट रहा हूँ।।
सुख का सूरज नजर न आता,
दुख का बादल हाड़ कँपाता,
नभ पर जमे हुए कुहरे को, दीप जलाकर छाँट रहा हूँ।
मेरी झोली में जो कुछ है, वही प्यार से बाँट रहा हूँ।।
आशाएँ हो गयी क्षीण हैं,
सरिताएँ जल से विहीन हैं,
प्यास बुझाने को मैं अपनी, तुहिन कणों को चाट रहा हूँ ।
मेरी झोली में जो कुछ है, वही प्यार से बाँट रहा हूँ।।
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17 October, 2013
"प्यार से बाँट रहा हूँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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प्यार से बाँट रहा हूँ
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बहुत ही सुन्दर गीत ... प्रेम से सरोबर गीत ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गीत
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteमेरी झोली में जो कुछ है, वही प्यार से बाँट रहा हूँ।।--बहुत सुन्दर विचार
ReplyDeleteनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
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