मेरे काव्य संग्रह "धरा के रंग" से
एक गीत
"आगे बढ़कर देखो तो..."
तुम मनको पढ़कर देखो तो!
कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! चन्दा है और चकोरी भी, रेशम की सुन्दर डोरी भी, सपनों में चढ़कर देखो तो! कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! कुछ छन्द अधूरे से होंगे, अनुबन्ध अधूरे से होंगे, कुछ नूतन गढ़कर देखो तो! कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! सागर से मोती चुन लेना, माला को फिर से बुन लेना, लहरों से लड़कर देखो तो! कुछ आगे बढ़कर देखो तो!! |
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23 December, 2013
"आगे बढ़कर देखो तो..." (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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गीत
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लहरों से लड़ते आगे बढ़ना जीवन का सकरात्मक दृष्टिकोण है !
ReplyDeleteप्रेरक रचना !
सुन्दर संकल्पों को नया रंग देती अप्रतिम रचना
ReplyDeleteतुम मनको पढ़कर देखो तो!
कुछ आगे बढ़कर देखो तो!!
चन्दा है और चकोरी भी,
रेशम की सुन्दर डोरी भी,
सपनों में चढ़कर देखो तो!
कुछ आगे बढ़कर देखो तो!!
कुछ छन्द अधूरे से होंगे,
अनुबन्ध अधूरे से होंगे,
कुछ नूतन गढ़कर देखो तो!
कुछ आगे बढ़कर देखो तो!!
सागर से मोती चुन लेना,
माला को फिर से बुन लेना,
लहरों से लड़कर देखो तो!
कुछ आगे बढ़कर देखो तो!!