मेरे काव्य संग्रह "धरा के रंग" से
एक गीत
"नभ में काले बादल छाये"
बारिश का सन्देशा लाये!!
नभ में काले बादल छाये!
छम-छम बून्दें पड़ती जल की,
कल-कल करती नभ से ढलकी,
जग की प्यास बुझाने आये!
नभ में काले बादल छाये!
जल से भरा धरा का कोना,
हरी घास का बिछा बिछौना,
खुश होकर मेंढक टर्राए!
नभ में काले बादल छाये!
पेड़ स्वच्छ हैं धुले-धुले हैं,
पत्ते भी उजले-उजले हैं,
फटी दरारें भरने आये!
नभ में काले बादल छाये! |
अच्छा बाल-सुलभ गीत है ! सराहनीय है आप की साहित्य-साधना !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना !
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ReplyDeleteबारिश का सन्देशा लाये!!
नभ में काले बादल छाये!
छम-छम बून्दें पड़ती जल की,
कल-कल करती नभ से ढलकी,
जग की प्यास बुझाने आये!
नभ में काले बादल छाये!
सुन्दर बाल गीत सहज सुबोध बाल शैली
घनघोर घटा अब छाई है
ReplyDeleteनभ ने ली अंगडाई है
प्यासी धरती प्यासी नदियाँ
रे बदली तू प्यास बुझाने आई है
सुन्दर व सुमधुर बाल गीत