राखी बन्धन के पावन पर्व पर
बाल चर्चा मंच पर प्रस्तुत है-
बच्चों के ब्लॉगों की चर्चा का
रक्षाबन्धन का यह अंक!
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शुरूआत करते हैं
से
*मेरा आज का पावन दिन-* [image: IMG_1913]* मैं प्राची हूँ! * *आज रक्षाबन्धन है! मैं अपनी सहेलियों के साथ मन्दिर में आयी हूँ! इसके बाद मैं अपने भाई प्रांजल,...
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चर्चा में शामिल होने वाला दूसरा ब्लॉग है-
नमस्कार बच्चो , रक्षा-बन्धन की हार्दिक बधाई और शुभ-कामनाएं ।
आज आपके लिए भेजी हैं प्यारी-प्यारी नन्ही-नन्ही कविताएं "
रामेश्वर कम्बोज हिमान्शु "जी नें । ...
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अब बारी है बाल-दुनिया की-
प्यारी-प्यारी मेरी बहना हरदम माने मेरा कहना राखी का त्यौहार आए मन को भाये, खूब हर्षाए। बांधे प्यार से राखी बहना प्यार का अद्भुत सुंदर गहना भैया मेरे तुम रक..
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Fulbagiya में देखिए-
-एक गांव के किनारे एक खेत था। खेत में चूहों के कई परिवार रहते थे। सारे चूहे चुहिया रात में अपनी बिलों से निकलते और घूम घूम कर अनाज खाते।।दिन में ...
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- धर्म जाति का भेद भुलाए धर्म -धर्म क्यों करते हैं ?
धर्म जाति पर मरते हैं, धर्म के खातिर मरने वाले ....
इस वतन के हैं जो रखवाले, धर्म किसी का हिन्दू..... धर्म..
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मैंने आज अपने भाई को राखी बांधा...और अपने पापा को भी...ये रक्छा बंधन * *है न...मैं अपने पापा की रक्छा करुँगी....माँ ने मुझे भी राखी बांधा...मेरी रक्छा क...
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1.सुबह, दोपहर. शाम को, मैं लोगों को भाती।
सब्जी के संग मेल है, आदि कटे तो पाती।
2.लख से मेरा नाम है, हूँ नवाबों का शहर।
राजधानी एक राज्य की, नहीं...
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-पिछली बार आपको हमने अपने और अपनी छोटी बहिन के घोड़े की सवारी की बात बताई थी। उस दिन किसी कारण से फोटो डाऊनलोड नहीं हो पा रही थी। आज उन्हीं फोटो को लगा रहे ह..
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-डॉ0 अल्लामा इक़बाल- लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी।
ज़िन्दगी शम्मा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी।
दूर दुनिया का मेरे दम से अन्धेरा हो जाए।
हर जगह मेरे चमकन..
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आज मेरा तीसरा रक्षाबंधन था.. और इस बार मेरे लिए आकांशा ने राखी भेजी... मेरी राखी जोधपुर से दादा दादी के साथ बहुत दिन पहले ही आ गई थी... ये रही मेरी नन्ही...
और अन्त में देखिए!
और अन्त में देखिए!
इधर मुझे लगातार हिन्दी साहित्य से सम्बन्धित कई सेमिनारों,गोष्ठियों और सम्मान समारोहों में जाने का अवसर मिला है।इन गोष्ठियों,सेमिनारों में खूब गरमा..
बहुत सुन्दर बाल चर्चा ..
ReplyDeleteबच्चों का संसार बड़ा प्यारा है.....
ReplyDeleteआपने इसे- बड़े जतन से सवांरा है......
बधाई स्वीकार कीजिए।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
बहुत सुन्दर बाल चर्चा किया है आपने! शानदार!
ReplyDeleteभागदौड़ और अंधी स्पर्धा की दौड़ में बच्चे ही प्रभावित हो रहे हैं। हम चाहते तो हैं कि हमारे बच्चों का स्वाभाविक और संतुलित विकास हो परंतु बच्चों के कोमल मन व कल्पनाशील व्यवहार को नहीं समझ पाते हैं। जब समझ आती है तो समय बीत चुका होता है। आपका प्रयास बहुत ही सार्थक है। इसके लिए साधुवाद।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लगी बच्चों के ब्लाग की यह चर्चा। शुभकमनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चर्चा है ....धन्यवाद
ReplyDeleteप्यारी चर्चा....बधाई.
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