हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास : एक समीक्षा
छः महीनों के लम्बे इन्तज़ार के बाद प्रियवर रवीन्द्र प्रभात जी द्वारा लिखित और हिन्दी साहित्य निकेतन, बिजनौर द्वारा प्रकाशित पुस्तक “हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास” मुझे प्राप्त हुई। जिसको बहुत ही परिश्रम के साथ हिन्दी ब्लॉगिंग के शैशवकाल से लेकर जवान होने तक के काल को विद्वान लेखक ने दर्शाया है।
समीक्षा की दृष्टि से यदि देखा जाए तो इसमें कुछ लोगों की गतिविधियों को तो अनावश्यकरूप से बहुत बढ़ा-चढ़ा कर भी प्रस्तुत किया है और इसमें कोई हानि भी नहीं है। लेकिन बच्चों के ब्लॉगों को प्रस्तुत करने में इस पुस्तक में बहुत कृपणता बरती गई है। उल्लेखनीय है कि नियमितरूप से सक्रिय बच्चों के बहुत से ब्लॉगों - चैतन्य का कोना, स्पर्श, पंखुरी टाइम्स, पार्थवी, रुद्र, लाडली, लविजा, गोलू गाए बुलबुल नाचे, लेखिका, बालवृन्द, चुन-चुन गाती चिड़िया, फुलबगिया, मन के रंग, बाल सभा, मानसी की दुनिया, नन्हे पंख, अनुष्का, बच्चों की दुनिया, स्वप्निल संसार, टाबरटोली आदि का तो इसमें जिक्र तक नहीं है।
इसकी क्रम में सन् 2003 से 2011 तक रिकार्ड पोस्ट लगाने वाले किसी भी ब्लॉग की ओर विद्वान लेखक का ध्यान हीं गया है। इसके बाद यदि बात करें ब्लॉगर मीट या ब्लॉगर सम्मेलन की तो इस पर भी कोई विशेष प्रकाश इस पुस्तक में नहीं डाला गया है।
आलोक कुमार जी के “नौ दो ग्यारह से लेकर 2010 तक के चिट्ठों को सम्मिलित करके, एक पुस्तक का रूप देना अपने आप में एक महत्वपूर्ण कार्य था जिसे श्री रवीन्द्र प्रभात जी ने पूरा कर दिखाया है। इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं।
इस सम्बन्ध में इतना ही कहना चाहूँगा कि लेखक सर्वव्यापी या सर्वशक्तिमान नहीं होता है, इसलिए सभी बिन्दुओं पर चर्चा करना सम्भव नहीं हो पाता है। वर्तमान कल का इतिहास होता है और इसको जिस प्रकार से “हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास” में प्रस्तुत किया गया है वह एक सराहनीय प्रयास है। मैं समझता हूँ की “हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास” हिन्दी ब्लॉगरों के लिए एक धरोहर से कम नहीं है। जिसको सभी ब्लॉगरों पास होना चाहिए।
आपके द्धारा इस पुस्तक के बारे में जानना अच्छा लगा।
ReplyDeleteपुस्तक के लिए शुभकामनाए।
ReplyDeleteकभी मिलेगी तो जरुर पढेंगे....
ReplyDeletewel-come on my blog
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Something is better than nothing .
ReplyDeletehttp://hbfint.blogspot.com/2011/10/blog-post_21.html
aapki najar se is putak par ek najar daal li.kabhi mouka mila to padhungi bhi.....aabhar
ReplyDeleteहमने भी यह पुस्तक पढ़ी. प्रभात जी ने काफी श्रम किया है.
ReplyDeleteशास्त्री जी अभिवादन ..हिंदी ब्लागिंग का इतिहास -इस पुस्तक के बारे में जानकार और समीक्षा पढ़कर आप की उत्सुकता बढ़ी ..बच्चों की दुनिया के विषय में कृपणता नहीं बरती जाए और उसे थोडा प्यार दिया जाए तो बहुत अच्छा है ..
ReplyDeleteअपना थोडा स्नेह और सुझाव " बाल झरोखा सत्यम की दुनिया " को भी दीजियेगा ताकि भविष्य में प्रोत्साहन से कुछ बात बने ....
शुक्ल भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com
शास्त्री जी हार्दिक आभार ....हिंदी ब्लागिगं का इतिहास पड़कर अत्यंत ही ज्ञानवर्धक एवं गौरवशाली जानकारी मिली ...सादर अभिनन्दन !!!
ReplyDeleteकभी मौका मिला तो अवश्य पढेंगे।
ReplyDeleteकभी मौका मिला तो अवश्य पढेंगे।
ReplyDeletehttp://indiagetseverythingfree.blogspot.com
एकदम संतुलित समीक्षा। आभार!
ReplyDeleteThanks for sharing ! best Movers and Packers in Bangalore Bengaluru Online
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