Followers

11 June, 2011

"ताजमहल की वास्तविकता" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


‘‘अगर बुरा लगे तो क्षमा करना’’

हमारे विद्यालयों ओर विश्वविद्यालयों में 
पढ़ाया जा रहा है कि ताजमहल एक कब्र है। 
बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम 
मुमताजमहल की याद में यह कब्र बनाई गयी थी।
इसे बनवाने के लिए कितने मजदूर, 
कितने वर्ष काम करते रहे?
नक्शा किसने बनाया था?
भवन कब बनकर तैयार हुआ?
उस पर कितनी लागत आई थी?
यह आज सब कुछ तैयार कर दिया गया है।
कौन पूछे कि बनाने वाले को तो उसी के बेटे ने 
जेल में डाल दिया था। उसकी हालत 
आर्थिकरूप से क्या थी? कि-
जिन्दा बाप ऐ-आबतरसानी। 
ऐ बेटे! तू अजब मुसलमान है कि जिन्दा बाप को 
पानी की बून्द-बून्द के लिए तड़पा रहा है। 
तुझसे तो हिन्दू मूर्ति-पूजक बेहतर हैं 
जो श्राद्ध के नाम पर मरने के बाद भी 
माँ-बाप को भोजन भेज रहे हैं। 
किसी ने यह तो पूछना नही है कि 
उस जेल में पड़े लाचार बादशाह के पास 
इतना धन था भी या नही कि जो ताज बनवा सकता।
इतिहासकार ने लिखा है कि 
ताज के गिर्द पैड बनवाने में ही खजाना खाली हो गया था।
 हम पाठकों से यह निवेदन करेंगे कि 
यदि उन्हें कुछ अवसर मिले तो 
एक बार ताजमहल अवश्य देखें।
१ - ताजमहल के अन्दर प्रवेश करने से पहले 
मुख्यद्वार तक पहुँचने के लिए 
जो चाहर-दीवारी बनी है, 
उसमें सकड़ों छोटे बड़े कमरे बने हैं।
गाइड बतायेगा कि इनमें बादशाह के घोड़े बँधते थे, 
घुड़सवार यहाँ ठहरते थे।
हाँ! आप किसी गाइड से यह मत पूछ लेना कि 
कब्रिस्तान में घुड़सवार क्यों रहते थे? 
क्या मुरदे रात को उठ कर भाग जाते थे, 
जिन्हें रोकना जरूरी था? 
या, 
जीवित मुर्दे रहते थे, 
जिनकी रक्षा और सेवा के लिए घुड़सवार चाहिए थे?
२ - यहाँ प्रविष्ट होते ही एक कुआँ है 
जो पहले यन्त्रों के द्वारा चलाया जाता था। 
उस कुएँ की कई परतें हैं। 
सारा कुआँ यन्त्र से खाली किया जा सकता था। 
यदि जरूरत हो तो उसमें से पीछे बहने वाली 
यमुना नदी में सुरक्षित पहुँचा जा सकता था। 
निचले तल में कोई भी सामान सुरक्षित करके 
रखा जा सकता था और साथ ही 
ऊपर के तल को यमुना के पानी से
 इस प्रकार भरा जा सकता था कि 
नीचे की तह का किसी को पता भी चले 
और सामान भी सुरक्षित रह जाये।
(क्या यह विलक्षण कलायुक्त कूप 
इस स्थान को मुर्दो की बस्ती की 
जरूरत की चीज बता सकता है।)
३ - आगे खुले मैदान में दो कब्रें बनी हैं। 
इतिहास साक्षी है कि मुमताज आगरा में नही मरी थी। 
वह तो खण्डवा के पास बुरहानपुर में
 १० -१२ वर्ष पहले मरी थी और वहीं दफनाई गयी थी। 
आज भी वहीं उसकी कब्र बनी है।
परन्तु गाइउ आपको बतायेगा कि बुरहानपुर से 
कब्र में से निकाल कर लाश १२ वर्ष बाद 
खोद कर लाई लाई गयी और यहीं आगरा में 
सुरक्षित इस स्थान पर कब्र में नीचे रख दी गयी। 
जब ताज का निर्माण पूरा हो गया तो 
वहाँ से फिर खोद कर निकाली गई 
और उसे ताज भवन में दफना दिया गया। 
उस ऊँचे गुम्बद के नीचे जहाँ पटल लगा है, 
मलिका मुमताज महल नीचे की कब्र में 
हमेशा की नींद सो रही है।
परन्तु आप हैरान होंगे कि 
जहाँ असली कब्र बताई जाती है 
वह स्थान तो भूमि ही नही है। 
वह ताज भवन के दुमंजिले की छत है। 
पीछे बहने वाली यमुना नदी 
उससे २० - २५ फीट नीचे 
ताज की दीवार के साथ सट कर बह रही है। 
यानि कब्र के नाम पर दुनिया की आँखों में 
धूल झोंक दी गयी है। 
कब्रें छतों पर नही भूमि पर बनतीं हैं।

४ - उसके पीछे की दीवार में 
(यमुना में खड़े होकर देखने पर साफ दिखाई देता है 
कि दीवार में बहुत सारी खिड़कियाँ बनी हैं, 
जिन्हें पत्थर-मिट्टी से भरकर बन्द करने की 
कोशिश की गई है। 
परन्तु वे अधखुली खिड़कियाँ चुगली कर रही हैं।) 
अन्दर ताज की कब्र की सीढ़ी के सामने भी 
एक दरवाजा है। उसे ताला लगा कर 
बन्द किया गया है, जिस पर पटल लगा है-
सरकारी आदेश से अमुक सन् में 
यह द्वार बन्द किया गया है।
यदि आप यह दरवाजा खुलवा कर 
कभी अन्दर झाँक सकें तो वहाँ 
पुरानी टूटी मूतियाँ और मन्दिर के
 खण्डहर मिल जायेंगे। 
वहाँ उस मंजिल में पचासों कमरे हैं 
जिनकी खिड़कियाँ जमुना जी की तरफ खुलती हैं।
इस पर हमसे कहा जाता है कि 
इस बात पर विश्वास कर लो कि यह कब्रिस्तान है। 
ये कमरे क्या मुरदों के निवास के लिए बनाये गये थे?
५ - भवन के सामने भूमि पर ताज का 
मानचित्र बनाया गया है। 
जो भारतीय वास्तुकला के नियमानुसार है।
ताज शिखर पर जो मंगलघट बना है। 
उस घट के मुख पर नारिकेल और 
आम्रपत्रिकाएँ बनाई गयी हैं 
और त्रिशूल चमक रहा है। 
वही सब कुछ मानचित्र में भी बना है।
इतने सारे प्रमाण होते हुए भी 
अंग्रेज लोग २०० साल तक हमें यह पढ़ाते रहे 
कि यह मुस्लिम संरचना है।
आजादी के साठ से अधिक वर्ष बीत जाने पर भी 
आज तक हमारे कालिजों में 
इतिहास की खोजो के नाम पर 
वही पढ़ाया जा रहा है जो कि अंग्रेज हमें पढ़ाते थे।
(अमृतपथ, देहरादून जुलाई ,२००९ से साभार)

31 comments:

  1. ताज के इतिहास की कब्र खोदने का उद्देश्य और हासिल क्या है? पहले वह स्पष्ट हो जाये तो आगे जानें!!

    ReplyDelete
  2. कटु सत्य है ये की हम आज भी नहीं जानते की हमारी वास्तविकता क्या है? हम सही मायने में अपने मूल से अनजान है| इसकी एक झलक दिखने के लिए धन्यवाद| बधाई|बहुत ही उम्दा रचना|

    ReplyDelete
  3. ताजमहल के लिए बीबीसी ने भी इसी सच को प्रचारित किया है और प्रसिद्ध इतिहास लेखक श्री पी के ओक ने भी इस सत्‍य को उजागर किया था।

    ReplyDelete
  4. ताजमहल की सच्चाई से तो हम अन्जान हैं पर आपने बहुत ही अच्छा लिखा है! कुछ ज्ञान हासिल कर सकें! धन्यवाद!

    ReplyDelete
  5. प्रोफ़ेसर ओक के लेख या वो पुस्तक पढ लो जिस पर कांग्रेसी सरकार ने रोक लगा रखी है,
    सारा मामला साफ़ हो जायेगा, कि ये शिव मंदिर है, या कब्र,
    बेचारे वे राजपूत शासक जिनके खानदानी शिव मंदिर को कब्र बना दिया और वे कुछ भी ना कर सके

    ReplyDelete
  6. यह जानकारी सर्वथा नवीन है मेरे लिये उस पुस्तक को पढ़ने की इच्छा भी बलवती है यरि नेट प्र उपलब्ध हो तो लिंक अवश्य दीजिये

    ReplyDelete
  7. ताज महल का वास्तविक नाम तेजोमहालय था. यह राजपूतों द्वारा पूजित शिव जी का महान मंदिर ठस जिसके साथ नरेश के रहने, संकट काल में छिपने, खजाने और अस्त्र-शास्त्र छिपाने तथा निकल भागने की व्यवस्था थी. मुख्य गुम्बद का निर्माण इस तरह है कि एक-एक बूँद जल शिव लिंग पर गिरता रहे.

    भारतीय पुरातत्व और सर्वेक्षण के महा निदेशक श्री पुरुषोत्तम नागेश ओके लिखित पुस्तक 'ताजमहल एक राजपूती महल था' में सभी प्रमाण हैं. कुछ जानकारी divyanarmada.blogspot.com में प्रकाशित एक लेख में भी है.

    ReplyDelete
  8. इस विषय पर पहले भी पढ़ा था ... मुग़ल शासकों ने ज्यादातर मंदिरों पर ही मस्जिदें बनवायीं थीं .. उनका शासन करीब २००० साल रहा इसलिए अब ये सब चीज़े भी हमारी संस्कृति और धरोहर में शामिल हो गयीं हैं .

    ReplyDelete
  9. बहुत बढिया जानकारी दी……………कुछ पता थी और जो नही थी आपने बता दी……………आभार्।

    ReplyDelete
  10. धूल मे लठ्ठ मारने से क्या अब तो यह एक अजूबा है जो भारत मे है.

    ReplyDelete
  11. ताजमहल की सच्चाई से तो हम अन्जान हैं
    कुछ पता थी और जो नही थी आपने बता दी……………आभार्

    ReplyDelete
  12. कुछ महीनो पहले हमने भी एक research paper पढ़ा था उसमे तथ्य कुछ और ही थे.... जाने सच क्या है...

    ReplyDelete
  13. --- कब्र पर बूँद बूँद जल टपकता है ...यह दुनिया भर में शिव लिंग के अलावा कहीं नहीं होता....कब्र पर तो कभी नहीं ...

    --ताज की यह सचाई वर्षों से लोग जानते तो है ...परन्तु जैसा उड़न तश्तरी जी का मंतव्य है...
    'ताज के इतिहास की कब्र खोदने का उद्देश्य और हासिल क्या है? पहले वह स्पष्ट हो जाये तो आगे जानें!!'
    --यही भावना सब को चुप किये रहती है....बहुत अच्छा है इसी प्रकार पोस्टों में बार-बार बताया जाए तो सभी लोग अपनी वास्तविकता से अज्ञान न रहें और वास्तविक तथ्यों को जानें जिसका प्रत्येक व्यक्ति अधिकारी है.....

    ReplyDelete
  14. JI ye jankari to kafi pahle se par ....kya kiya ja sakta hai..

    ReplyDelete
  15. Respected Mayank ji
    Aaj app ney Taj mahal ki baat keh dali
    dil key Taroo ko nai uchai dey dali,
    unforgettable line for TajMahal

    ReplyDelete
  16. very nice your blog plese come my blog pls click here

    ReplyDelete
  17. ताजमहल का सत्य यही है। पुरुषोत्तम नागेश ओक जी का यी कहना था और अपनी पुस्तक में उन्होंने इस तथ्य को उद्घाटित भी किया है। अपने जीवन के अन्तिम क्षण तक वे यही बात कहते रहे और हक के लिये लड़ते रहे। अपना पूर जीवन उन्होंने इतिहास की भ्रान्तियाँ दूरा करने में लगा दिया।

    आज आपकी इस पोस्ट ने एक बार फिर इस विषय को चर्चा में स्थान दिया है।

    ReplyDelete
  18. प्रसिद्ध इतिहास लेखक श्री पी के ओक ने भी इस सत्‍य को उजागर किया था।

    ReplyDelete
  19. बहुत ही सशक्‍त रचना ।

    ReplyDelete
  20. शास्त्री जी! इतना सच बोलने पर सरकारी तन्त्र नाराज हो सकता है क्योंकि उसका एक तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय को ठेस लग सकती है।

    ReplyDelete
  21. कटु सत्य ...अफसोस की बात ... इसको प्रेम के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करना औचित्यहीन है....शास्त्री जी सत्य उद्घाटित करते लेख के लिए आभार....शुभकामनाएं !!!

    ReplyDelete
  22. आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

    ReplyDelete
  23. ताजमहल की वास्‍तविकता जानने के लिए पुरुषोत्‍तम नागेश ओक जी की पुस्‍तक 'ताजमहल मन्दिर भवन है' पढि़ए। यह पुस्‍तक www.apnihindi.com पर पीडीएफ फॉर्म में उपलब्‍ध है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. इस लिंक पर पी.एन.ओक जी की सभी पुस्तकें High resolution, single page, PDF रूप में उपलब्ध है |

      http://pnoakbooks.blogspot.in/

      Delete
  24. bahut hi badiya jaankari prastut kee hai aapne..
    prastuti ke liye aabhar!
    Baal charchamanch par aakar bahut achha laga..
    baahe hote hi hai sabse sundar..pyare-pyare..

    ReplyDelete
  25. बहुत बढिया जानकारी दी…………धन्यवाद..

    ReplyDelete
  26. Superb information you have shared and i really love this post,
    domain registration india

    ReplyDelete
  27. dr sahab aapne to tajmahal ki sachai ko kholkar hi rakh diya jise duniya kabr samaj rahi h wo to wastav m kuch aur hi h bahut achhi jankari di dhanyavaad

    ReplyDelete

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।

LinkWithin