मैं नये साल का सूरज हूँ,
हरने आया हूँ अँधियारा।
मैं
स्वर्णरश्मियों से अपनी,
लेकर आऊँगा उजियारा।।
चन्दा को दूँगा मैं प्रकाश,
सुमनों को दूँगा मैं सुवास,
मैं रोज गगन में चमकूँगा,
मैं सदा रहूँगा आस-पास,
मैं जीवन का संवाहक हूँ,
कर दूँगा रौशन जग सारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
मैं नित्य-नियम से चलता हूँ,
प्रतिदिन उगता और ढलता हूँ,
निद्रा से तुम्हें जगाने को,
पूरब से रोज निकलता हूँ,
नित नई ऊर्जा भर
दूँगा,
चमकेगा किस्मत का तारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
मैं दिन का भेद बताता हूँ,
और रातों को छिप जाता हूँ,
विश्राम करो श्रम को करके,
मैं पाठ यही सिखलाता हूँ,
बन जाऊँगा मैं सरदी में,
गुनगुनी धूप का अंगारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
मैं नये साल का सूरज हूँ,
हरने आया हूँ अँधियारा।।
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शास्त्री जी ..बहुत सुन्दर...नये साल में नयी रचना ...नववर्ष की मंगलकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो!
बहुत अच्छा।
ReplyDeleteनया साल मंगलमय हो।
मेरी सोच मेरी मंजिल
सुन्दर रचना।
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