tag:blogger.com,1999:blog-6179172012135228892.post3325543808160360905..comments2024-02-04T15:23:54.064+05:30Comments on "धरा के रंग": "छू लो हमें.." (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)शास्त्री "मयंक"http://www.blogger.com/profile/04535724588279987792noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6179172012135228892.post-85314024343099114322013-12-13T22:53:15.325+05:302013-12-13T22:53:15.325+05:30झूठा ख़त ही हमें भेज देना कभी,
आजमा कर हमें देख ले...झूठा ख़त ही हमें भेज देना कभी,<br />आजमा कर हमें देख लेना कभी,<br />साज-संगीत को छेड़ देना जरा,<br />हम तरन्नुम में भरकर ग़ज़ल गायेंगे!<br /><br />प्यार की ऊर्मियाँ तो दिखाओ जरा,<br />संग-ए-दिल मोम बन कर पिघल जायेंगे!!<br /><br />गीत और स्वर दोनों सशक्त। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com